SIP में आगे क्या करें? Mutual Funds में बन रहा नया मौका, एक्सपर्ट से समझिये निवेश की स्ट्रैटजी
Mutual Fund SIP Strategy: मौजूदा गिरावट से पहले घरेलू बाजारों ने नया रिकॉर्ड भी बनाया. विदेशी बाजारों से भी लगातार सुस्ती के संकेत हैं. ऐसे में बड़ा सवाल है कि मौजूदा हालात में बाजार और म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की चाल कैसी रहेगी और SIP निवेशकों को आगे क्या स्ट्रैटजी अपनानी चाहिए.
Mutual Fund SIP Strategy
Mutual Fund SIP Strategy
Mutual Fund SIP Strategy: म्यूचुअल फंड में SIP के जरिए रिकॉर्ड निवेश आ रहा है. रिटेल निवेशकों की ओर से अगस्त में लगातार दूसरे महीने 15,000 करोड़ से ज्यादा की खरीदारी SIP के जरिए की गई. इक्विटी फंड्स में लगातार निवेश बना हुआ है. स्मॉल कैप और मिड कैप पर निवेशक ताबड़तोड़ खरीदारी कर रहे हैं. बाजार के मौजूदा हालात की बात करें, तो बीते कुछ ट्रेडिंग सेशन से मुनाफावसूली हावी है. मौजूदा गिरावट से पहले घरेलू बाजारों ने नया रिकॉर्ड भी बनाया. विदेशी बाजारों से भी लगातार सुस्ती के संकेत हैं. ऐसे में बड़ा सवाल है कि मौजूदा हालात में बाजार और म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की चाल कैसी रहेगी और SIP निवेशकों को आगे क्या स्ट्रैटजी अपनानी चाहिए.
बाजार का कैसा है मूड
मार्केट एक्सपर्ट अजीत गोस्वामी कहते हैं, भारतीय बाजारों की बात करें, तो अर्थव्यवस्था की स्थिति, सरकारी नीतियां, ग्लोबल घटनाक्रम और निवेशकों के सेंटीमेंट समेत कई फैक्टर इसके मूवमेंट पर असर डालते हैं. सबसे ज्यादा असर महंगाई, ब्याज दरें, GDP ग्रोथ, कॉरपोरेट अर्निंगय और जियोपॉलिटिकल डेवलपमेंट्स का बड़ा असर होता है.
बीते साल की बात करें, तो शेयर बाजार में जबरदस्त रैली देखी गई. लार्ज कैप और मिड/स्मॉल कैप स्टॉक्स में जबरदस्त तेजी रही. फिलहाल मार्केट नई ऊंचाई पर है. ऐसे में घरेलू और ग्लोबल दोनों स्तर पर अलर्ट रहने की जरूरत है. इसके अलावा भारत जैसे ऑयल इम्पोर्ट करने वालों देशों की करेंसी और शेयर बाजार में तेल की बढ़ती कीमतों के चलते दबाव में रह सकते हैं. ब्रेंट 95 डॉलर (Brent/WTI) के आसपास बना हुआ है. कॉरपोरेट परफॉर्मेंस, लिक्विडिटी कंडीशन, विदेशी निवेश और ग्लोबल आर्थिक हालात जैसे फैक्टर्स निवेशकों के सेंटीमेंट और बाजार की चाल पर असर डाल सकते हैं.
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में बनेंगे मौके
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मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि बीते सालों में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने अच्छा खास विकास किया है. इंडस्ट्री को निवेशकों के बीच बढ़ती जागरुकता, बढ़ता मिडिल क्लास और फाइनेंशियल इन्क्लूसन को मिल रहे प्रोत्साहन मिल रहा है. रिटेल निवेशकों को डायवर्सिफाइड निवेश का ऑप्शन मिल रहा है. म्यूचुअल फंड्स के जरिए निवेशक डेट, इक्विटी और हाइब्रिड इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश कर पा रहे हैं.
भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की बात करें, तो बीते 10 साल में 6 गुना बढ़ी है. 31 अगस्त 2013 को इंडस्ट्री का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 7.66 लाख करोड़ था, जो 31 अगस्त 2023 तक बढ़कर 46.63 लाख करोड़ रुपये हो गया. म्यूचुअल फंड्स अकाउंट यानी फोलियो की बात करें, तो 15.42 करोड़ से ज्यादा हो गया है.
संक्षेप में बात करें, तो 2024 भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के लिए काफी पॉजिटिव है. निवेशकों के लिए निवेश और ग्रोथ की व्यापक संभावनाएं बनेंगी. निवेशकों में बढ़ती जागरुकता, रेगुलेटरी विजिलेंस और नई टेक्नोलॉजी से बूस्ट मिलेगा.
SIP में आगे क्या हो स्ट्रैटजी
अजीत गोस्वामी कहते हैं, हमें यह समझना होगा कि निवेश के लिए सिस्टमैटिक और अनुशासित अप्रोच के चलते SIPs की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है. इसमें निवेशकों को रूपी कॉस्ट एवरेजिंग और लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन के लिए मार्केट रिस्क को कम करते हुए कम्पाउंडिंग का फायदा होगा.
ऐसे में यह कह पाना मुश्किल है कि SIP में निवेश सेचुरन पर है या SIP शुरू करने का सही समय है. ऐसे में जरूरी है कि लॉन्ग टर्म नजरिए और एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो के साथ SIP को आगे बढ़ाया जाए. मार्केट कंडीशन को देखते हुए यह एक सफल निवेश स्ट्रैटजी होगी. हालांकि, यह जरूरी है कि SIPs को नियमित तौर पर समीक्षा और एडजस्ट करनी चाहिए.
SIP इनफ्लो ऑल टाइम हाई पर
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त 2023 में SIP के जरिए 15,814 करोड़ रुपये का इनफ्लो हुआ है. जबकि जुलाई में एसआईपी इनफ्लो 15,243 करोड़ रुपये था. इस तरह लगातार दूसरे महीने एसआईपी के जरिए 15 हजार करोड़ से ज्यादा का इनफ्लो देखने को मिला. इक्विटी कैटेगरी की बात करें, तो इस साल अब तक का सबसे ज्यादा 20,245.26 करोड़ का इनफ्लो अगस्त में देखने को मिला है. इससे पहले जुलाई 2023 में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में 7,505 करोड़ रुपये का इनफ्लो हुआ था.
(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)
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05:13 PM IST